भारतीय परंपरा

हो सकता है कि हम सही मात्रा मे और सही प्रकार से भोजन कर रहे हों, लेकिन अगर समय के साथ अनियमितता है तो शरीर की पूरी प्रणाली को झटका लगता है और शरीर की प्राकृतिक लय बिगड़ जाती है और शरीर की प्राकृतिक लय प्राप्त करने के लिये हमें प्रतिदिन सही समय और नियमित अंतराल पर भोजन करना चाहिये।


भारतीय परंपरा में खानपान का ध्यान विशेष रूप से बनाने वाले के मन का व खाने वाले की मनस्थिति का भी उल्लेख मिलता है, हमारे यहाँ कहावत है कि "जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन।"