भगवान शिव से जुड़े 15 प्रतीक और उनका महत्व

हर त्योहारों का अपना ही महत्व होता है, इसी प्रकार महाशिवरात्रि का भी अपना ही एक महत्व है। एसी मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भक्त सच्चे मन से शिव जी की अराधना करते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर दूध, जल और बेल पत्र चढ़ाकर शिव शंकर की पूजा करते हैं।


भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है। यह इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान शिव गले में नाग, हाथ में त्रिशूल, सिर पर गंगा, शेर की खाल क्यों पहनते हैं, इन सबके पीछे कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है| आइए जानते हैं कि ये कहानियां क्या हैं और क्यों ये सब भगवान शिव के प्रतीक या आभूषण हैं|


हिंदू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव हुआ हैं। यू कहे तो भगवान शिव दुनिया के सभी धर्मों का मूल हैं और तो और हिन्दू धर्म में भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है। यह इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| भगवान शिव अजन्मे माने जानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि उनका न तो कोई आरम्भ हुआ है और न ही अंत होगा। इसीलिए वे अवतार न होकर साक्षात ईश्वर हैं। क्या अपने कभी सोचा है कि आखिर भगवान शिव गले में नाग, हाथ में त्रिशूल, सिर पर गंगा, शेर की खाल क्यों पहनते हैं, इन सबके पीछे कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है|