डमरू

यह एक छोटे से आकार का ड्रम है जोकि भगवान शिव के हाथ में रहता है और इसीलिए भगवान शिव को “डमरू-हस्त” कहा जाता है| डमरू के दो अलग-अलग भाग एक पतले गले जैसी संरचना से जुड़े होते हैं| डमरू के अलग-अलग भाग अस्तित्व की दो भिन्न परिस्थिति “अव्यक्त” और “प्रकट” का प्रतिनिधित्व करता है| जब डमरू हिलता है तो इससे ब्रह्मांडीय ध्वनि “नाद” उत्पन्न होता है जो गहरे ध्यान के दौरान सुना जा सकता है| हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, “नाद”  सृजन का स्रोत है। डमरू भगवान शिव के प्रसिद्ध नृत्य “नटराज” का अभिन्न भाग है, जो शिव की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।