गले में सर्प*

भगवान शिव अपने गले में सर्प धारण करते हैं| यह सर्प उनके गले में तीन बार लिपटे रहता है जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य का सूचक है| सर्पों को भगवान शंकर के अधीन होना यही संकेत है कि भगवान शंकर तमोगुण, दोष, विकारों के नियंत्रक व संहारक हैं, जो कलह का कारण ही नहीं बल्कि जीवन के लिये घातक भी होते हैं। इसलिए उन्हें कालों का काल भी कहा जाता है| सर्प को कुंडलिनी शक्ति भी कहा गया है जोकि एक निष्क्रिय ऊर्जा है और हर एक के भीतर होती है|