फेसबुक पर गिरिराज किशोर का पेज बेशक आफिशियल वेरिफाइड नहीं हो लेकिन उनके निधन के एक दिन बाद अगर आप इस पेज पर आइए तो फेसबुक ने खासतौर पर रिमेंमबरिंग गिरिराज किशोर लिखकर श्रृद्धांजलि दी है. साथ ही लोगों से अनुरोध किया हुआ है कि अगर वो यहां उनके बारे में कुछ लिखना चाहे, उनकी यादों को फिर याद करना चाहें तो कृपया उन बातों को यहां शेयर करें.
आमतौर पर फेसबुक ऐसा नहीं करता. उसका ये प्रयास अच्छा लगा कि चलो फेसबुक ने एक ऐसा काम किया, जो वाकई किया जाना चाहिए था. सोशल साइट्स पर जारी ट्रोलिंग, आरोपों-प्रत्यारोपों और विवादों के बीच एक कुछ अलग है.
हालांकि बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ लोगों ने जरूर यहां पर हिन्दी के इस जाने माने साहित्यकार को याद किया है. कई तरह के कमेंट हैं. उन्हें गांधीवादी कहा गया है. ज्यादातर लोगों ने लिखा पहला गिरमिटिया उनका कालजयी उपन्यास है, जिसने उन्हें साहित्य जगत में एक जगह दिला दी. सुरेंद्र बंसल नाम के शख्स ने टिप्पणी की, साहित्य के गिरिराज का स्थिर हो जाना, विनम्र श्रृद्धांजलि. ..और भी लोगों ने उन्हें अपने तरीके से याद किया है.
फेसबुक पर गिरिराज हमेशा मुखर रहने वाले साहित्यकार थे. जनभावनाओं को महसूस करने वाले. सही और गलत को खरा-खरा कहने वाले. उनकी लिखी बातें पढ़ने में अच्छा लगता था. कभी वो सिस्टम पर चोट करते थे. कभी सियासत पर तो कभी साहित्यजगत की बात करते. उन्हें ट्रोल करने वाले भी कम नहीं थे. उनकी आखिरी फेसबुक पोस्ट 19 अगस्त 2019 को पब्लिश हुई. ईद का दिन था. उन्हें अफसोस था कि जम्म-कश्मीर के लोगों के लिए इस बार ईद वैसी नहीं होगी. इसके बाद वो शायद बीमार हो गए. बीमारी लंबी चली.